28 सितंबर 2012

मुख्यमंत्री नितीश कुमार की अधिकार यात्रा : सहरसा

विरोध की कई तरह की बड़ी-बड़ी आशंकाओं के बीच सहरसा में नीतीश का कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। बताना लाजिमी है कि इस सभा को शांतिपूर्ण तरिके से संपन्न कराने के लिए जहां एतिहासिक सुरक्षा इंतजाम किये गए थे वही सभा स्थल पर उन्हीं को जाने दिया गया था जिनके पास जदयू के दिए पास थे। यानि कहीं दूसरे दल के कार्यकर्ता सभा के भीतर पहुँच कर किसी तरह का बवाल ना खड़ा कर दे इसका पूरा ख्याल रखा गया था। इस पास सिस्टम की वजह से सैंकड़ों की संख्याँ में जदयू समर्थक भी बिना नीतीश जी को देखे-सुने  ही वापस लौट गए। नीतीश कुमार करीब साढ़े दस बजे सड़क मार्ग से मधेपुरा से सहरसा परिसदन पहुँचे जहाँ सबसे पहले परिसदन में ही अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। एक घंटे से कुछ ज्यादा चली इस बैठक के बाद नीतीश कुमार सहरसा स्टेडियम पहुँचे जहाँ उन्होंने पूर्व से तय एक जनसभा को सम्बोधित किया। नीतीश कुमार के साथ-साथ मंच पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, मंत्री विजय कुमार चौधरी, जीतन राम मांझी, जदयू के खगड़िया सांसद दिनेश चन्द्र यादव, छातापुर के जदयू विधायक नीरज कुमार बबलू सहित कई और नेता मौजूद थे। नीतीश कुमार ने इस मौके पर सर्वप्रथम कोसीवासियों से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए पटना के गाँधी मैदान में आगामी 4 अक्तूबर को आहूत अधिकार रैली में शामिल होने का न्योता दिया। नीतीश ने इस मौके पर उनकी सभाओं में हो रहे पुरजोर विरोध पर जमकर अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि उनकी सभा में जनता का विरोध नहीं हो रहा है। उनके विरोधियों का यह सारा प्रायोजित ड्रामा है। उन पर पत्थर चलें, बम चलें या फिर उनकी जान ले ली जाए लेकिन वे अपने अभियान से पीछे हटने वाले नहीं हैं। वे हर हाल में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाकर रहेंगें । उन्होंने साफ किया कि वे तो अधिकार रैली के माध्यम से बिहार की जनता के हित की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन बिहार के कई नेता तो लाठी रैली और ना जाने कौन-कौन सी रैली करते थे। वे सबकुछ समझ रहे हैं और सबको समय से जबाब दिया जाएगा। नीतीश की सभा में जदयू के एक कार्यकर्ता के साथ पुलिस अधिकारियों और जवानों ने जमकर धक्का-मुक्की और बदसलूकी की। यह कार्यकर्ता नीतीश बाबू को गरीबों के साथ हो रही अनदेखी को लेकर कुछ कहना चाहता था। इसे अधिकारियों ने सभा स्थल से गायब कर दिया। उसे सभा खत्म होने के बाद भी मीडिया के सामने नहीं आने दिया गया।
नीतीश की सभाओं में लोगों के लगातार हो रहे उग्र और पुरजोर विरोध को देखते हुए सहरसा में एतिहासिक सुरक्षा इंतजाम किये गए थे। जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों के लिए नीतीश कुमार का यह दौरा उनके गले की हड्डी बनी हुई थी। आखिरकार तमाम बड़ी आशंकाओं के काले बदल छंटते चले गए और नीतीश की यह सभा आखिरकार शुभ-शुभ संपन्न हो गयी। सभी ने एक साथ राहत की सांस ली है। सहरसा की सभा के बाद नीतीश कुमार सड़क मार्ग से मधेपुरा के लिए रवाना हो गए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.