10 सितंबर 2012

ठाकरे" सरेआम रंगदारी करता है


वो मुल्क के टुकड़े करने की तैयारी करता है |
वो दुश्मन है ..इस देश से गद्दारी करता है ..|

कभी मुंबई ..कभी दिल्ली ...
कभी असम..कभी बंगलौर ..
"भागो यहाँ से " 
ये फरमान वो जारी करता है |

फूटपाथ पर सोके जिसने उसके  महल बनाए ..
उसे कहता है ..कि तू "हमारी" हकमारी करता है |

हम समझते हैं खूब ये सियासत का चलन ...
क्यों वो "ठाकरे" सरेआम रंगदारी करता है |

इंसाफ की तलाश में हम जाएँ कहाँ अब ...
ये सारा तंत्र दौलत वालों की तरफदारी करता है |

आज लगता है कि "हमारा भारत" कही खो सा गया है ..
कोई मराठी ...कोई बंगाली...तो कोई बिहारी करता है ||||
--रचना भारतीय, मधेपुरा.

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