वो मुल्क के टुकड़े करने की तैयारी करता है |
वो दुश्मन है ..इस देश से गद्दारी करता है ..|
कभी मुंबई ..कभी दिल्ली ...
कभी असम..कभी बंगलौर ..
"भागो यहाँ से "
ये फरमान वो जारी करता है |
फूटपाथ पर सोके जिसने उसके महल बनाए ..
हम समझते हैं खूब ये सियासत का चलन ...
क्यों वो "ठाकरे" सरेआम रंगदारी करता है |
इंसाफ की तलाश में हम जाएँ कहाँ अब ...
ये सारा तंत्र दौलत वालों की तरफदारी करता है |
आज लगता है कि "हमारा भारत" कही खो सा गया है ..
कोई मराठी ...कोई बंगाली...तो कोई बिहारी करता है ||||
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--रचना भारतीय, मधेपुरा. |
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