6 अक्टूबर 2012

ओवरब्रिज निर्माण के लिए सहरसा बंद



सहरसा :- ओवरब्रिज निर्माण के लिए स्थानीय कुंवर सिंह चौक प़र बीते दो अक्तूबर से भूख हड़ताल प़र बैठे चार सामाजिक कार्यकर्ताओं जिला पार्षद प्रवीण आनंद,वयोवृद्ध शिव प्रसाद केशरी,सुभाष गांधी और विनोद पासवान के समर्थन में ना केवल नौजवान और सभी वर्गों के आमलोगों का जन-सैलाब उमड़ रहा है बल्कि आज व्यवसायी वर्ग भी अपनी दुकानों को बन्द करके इस आन्दोलन में कूद पड़े हैं.यूँ आज अहले सुबह से यहाँ के नौजवान टोली बनाकर विभिन्य बाजारों से गुजरते हुए और घूम--घूमकर दुकानें बन्द करा रहे थे ! सहरसा बाजार पूरी तरह से बन्द रहा.इस बंदी को सही अर्थ में एतिहासिक बंदी की संज्ञा दी जा सकती है.

नौजवानों के इस कारवां को.अहले सुबह से टोली बनाकर ये सहरसा के विभिन्य बाजारों में घूम--घूमकर ना केवल दुकानें बन्द करा रहे हैं बल्कि ओवरब्रिज निर्माण के लिए आहूत इस आन्दोलन में लोगों को स्वतः शामिल होने की अपील भी कर रहे हैं.आज सहरसा में अभूतपूर्व बंदी का आलम है.सहरसा के तमाम मुख्य बाजार डी.बी.रोड,शंकर चौक,बंगाली बाजार,चांदनी चौक,महावीर चौक,गंगजला चौक,पूरब बाजार,नया बाजार  से लेकर कचहरी ढाला की सभी दुकाने इस बंदी में पूरी तरह से बन्द रहे.इस आन्दोलन के दौरान छात्र--नौजवानों ने अनशन स्थल प़र भी जमकर नारेबाजी की
इस आन्दोलन में अब सहरसा के व्यवसायी भी पूरी तरह से ना केवल शामिल हो गए हैं बल्कि वे आज अपनी दुकानें बन्द करके जबतक ओवरब्रिज का निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं होगा तब तक वे भी आन्दोलन करते रहेंगे !
पुलिस अधिकारी इस मुकम्मिल बंदी को स्वीकार कर रहे हैं और कह रहे हैं की एहतियात और शान्ति व्यवस्था कायम रह सके इसके लिए हर चौक--चौराहे पर मेजिस्ट्रेट और पुलिस जवानों की तैनाती कर दी गयी है.

सहरसा की यह अभूतपूर्व बंदी है जिसमें आमलोगों की आवाज कुलाचें भर रही है.इस बार कोसी क्षेत्र की जनता पूरी तरह से अगिया--बेताल हो चुकी है और बिना ओवरब्रिज के निर्माण का रास्ता साफ़ हुए,वह किसी भी समझौते और सियासी लॉलीपॉप से मानने वाली नहीं है.इस बार साफ़ तौर प़र यह आर--पार की लड़ाई प्रतीत हो रही है.



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