17 अक्टूबर 2012
नितीश कुमार ने किया उग्र तारा महोत्सव का उद्घाटन
15 अक्टूबर 2012
पुलिस की तानाशाही
आज सहरसा में पुलिस की बर्बरता की इंतहा पर लोगों का गुस्सा न केवल फूटा बल्कि लोगों ने सदर अस्पताल में घंटों बबाल भी काटे और मौके पर पहुंचे तीन अधिकारियों को घंटों बंधक बनाए रखा । गुस्साए लोगों का आरोप है की बीते 13 अक्तूबर को एक निर्दोष की गिरफ्तारी कर बनगांव थाने की पुलिस ने बेरहमी से दो दिनों तक हाजत में बंद कर के उसकी बेरहमी से पहले तो पिटाई की फिर आज सुबह जख्मी शख्स को सड़क किनारे लाकर लावारिश की तरह फेंक दिया और वहाँ से चलते बने । बनगांव थानाध्यक्ष संजीव कुमार सहित बनगांव पुलिस की बर्बरता और दादागिरी की इंतहा की इस घटना पर घंटों बबाल हुआ । बनगांव थाना क्षेत्र के वसुदेवा गाँव के रहने वाले संजीव दास को जख्मी हालत में ग्रामीणों ने सदर अस्पताल में भर्ती कराया है जहां उसकी स्थित नाजुक बनी हुई है । लोगों और परिजनों का कहना है की चोरी,लूटपाट और मारपीट के एक झूठे मामले में पुलिस ने संजीव दास को पहले तो गिरफ्तार करके ले गयी लेकिन बाद में उसकी बेरहमी से पिटाई कर के उसे छोड़ दिया । सदर अस्पताल में हंगामे की सुचना पाकर मौके पर लोगों को समझाने पहुंचे एस.डी.ओ, ए.डी.एम और एस.डी.पी.ओ को आक्रोशित लोगों ने करीब दो घंटे तक एक तरह से बंधक बनाए रखा और उनकी एक न सुनी । स्थिति की गंभीरता को भांप कर आनन-फानन में फिर मौके पर डी.एम और एस.पी पहुंचे जिन्होनें लाख मशक्कत के बाद लोगों को शांत कराने में सफलता पायी । एस.पी अजीत सत्यार्थी ने थानाध्यक्ष संजीव कुमार को तत्काल निलंबित कर दिया है । आज के इस नज़ारे ने यह जाहिर कर दिया है की यहाँ की पुलिस बर्बर और निरंकुश है जिसके खिलाफ लोगों ने संग्राम का विगुल फूंक दिया है !
सदर अस्पताल सहरसा आज जंग के मैदान में तब्दील होते-होते बच गया । हांलांकि घंटों यहाँ बबाल हुए और मौके पर शुरू में आये कई अधिकारियों को यहाँ न केवल पुरजोर विरोध का सामना करना पड़ा बल्कि इन अधिकारियों को यहाँ से दुम दबाकर भाग जाना पडा।आक्रोशित लोगों ने करीब दो घंटे तक इन्हें घेरकर एक तरह से बंधक बनाए रखा । मामला काफी विस्फोटक और यहाँ की तस्वीर काफी भयावह होती लेकिन आज तमाम विरोधी दलों के द्वारा बिहार बंद की वजह से उन लोगों का पूरा ध्यान सहरसा की बंदी में रहा इसलिए किसी का ध्यान इधर नहीं खिंचा वर्ना हम अभी आपको कुछ और ही दिखा रहे होते । संजीव दास को बनगांव पुलिस ने बेरहमी और निर्ममता से उसकी पिटाई की है । उसके पुरे शरीर पर गंभीर जख्मों के निशान मौजूद हैं जो पुलिस को यमराज साबित करने में समर्थ हैं । पुलिस की इस काली करतूत को देखने पहले एस.डी.ओ,ए.डी.एम और एस.डी.पी.ओ साहब आये लेकिन लोगों ने इनकी एक न सुनी । इन्हें लोगों ने करीब दो घंटे तक अपनी गिरफ्त में रखा बड़ी मुश्किल से ये लोग अपनी-अपनी गाडी लेकर यहाँ से भागे।फिर ये सभी डी.एम और एस.पी के साथ पुनः यहाँ आये । जख्मी संजीव की हालत काफी नाजुक है । उसके परिजन बताते हैं की पुलिस उसे एक झूठे मामले में पकड़ कर ले गयी और उसकी ऐसी पिटाई की उसका बचना मुश्किल है । पुलिस की बर्बरता की कहानी यहीं पर खत्म नहीं होती है । पुलिस वालों ने इसे पीट -पीट कर पहले तो अधमरा कर दिया फिर उसे वसुदेवा गाँव के समीप एक सड़क के किनारे लाकर फेंक दिया
डी.एम और एस.पी न केवल मौके पर पहुंचे बल्कि इस मामले को गंभीरता से भी लिया । एस पी ने इस मामले में पहली दृष्टि में बनगांव थानाध्यक्ष संजीव कुमार को दोषी पाते हुए उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया और इस पुरे मामले की जांच का जिम्मा एस.डी.पी.ओ सदर अशोक दास को सौंप दिया । एस.पी ने बताया की कानून हाथ में लेने का अधिकार न तो आम आदमी को है और न ही पुलिस को, उन्होनें बनगांव थानाध्यक्ष को दोषी पाया है और उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया गया है।
आज सहरसा जलते-जलते बच गया। अगर पुलिस ने अपना रवैया नहीं बदला तो मधुवनी से बड़ी घटना यहाँ घटित होकर रहेगी। बीते 29 दिसंबर 2011 को पुलिस और प्रशासन की नादानी से सहरसा में लगातार दो दिनों तक छात्र और पुलिस-प्रशासन के बीच संग्राम छिड़ा था। उस समय भी काफी बरबादी हुयी थी लेकिन अब उस घटना से बड़ी घटना की आशंका कुलाचें भर रही है। जाहिर तौर पर पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों को अपनी आदत और कार्यशैली में बदलाव लाना होगा,तभी ऐसी बड़ी घटनाओं को रोका जा सकेगा।
8 अक्टूबर 2012
शराब ने ली जान
सहरसा :- बीती रात सदर थाना के नया बाजार स्थित राज श्री भोग फ्लावर
मिल प़र शराब पीने--पिलाने के लिए हुई मारपीट में बेटे को बचाने गए एक पिता
की शराबियों ने लाठी-डंडे और फरसे के प्रहार से गंभीर रूप से जख्मी कर
दिया ! आनन्--फानन में मुहल्ले और घर के लोगों ने इलाज के लिए उसे सदर
अस्पताल लाया जहां देर रात उसकी मौत हो गयी ! घटना के सम्बन्ध में प्राप्त
जानकारी के मुताबिक़ बजरंग साह नाम का युवक अपने चार दोस्तों के साथ अपने घर
के बगल में स्थित राज श्री भोग फ्लावर मिल प़र अपने चार दोस्तों के साथ
शराब पी रहा था | इसी दौरान किसी बात को लेकर उनलोगों के बीच मारपीट हो गयी
मारपीट और हो--हल्ला को देख बजरंग के पिता लाल मोहर साह ने बीच--बचाव करने
की कोशिश की लेकिन अंगूर की बेटी सर चढ़कर बोल रही थी | चारों शराबियों ने
लाल मोहर की लाठी--डंडे और फरसे के हमले से गंभीर रूप से जख्मी कर दिया अब
अंजाम सामने है लाल मोहर इस दुनिया को अलविदा कह चुका है !
पुलिस ने इस मामले में सदर थाना में काण्ड दर्ज कर जहां अनुसंधान तेज कर दिया है ! वहीँ इस मामले के चार नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है ! शराब ने आखिरकार एक शख्स की बलि ले ही ली !
मृतक का छोटा बेटा बताता है की उसका भाई बजरंग घर के बगल के ही मिल प़र बैठकर शराब पी रहा था की अचानक उसकी मारपीट वहाँ शराब पी रहे अन्य चार लोग मिल मालिक टुनटुन साह,मनटुन साह और उसके स्टाफ विकास कुमार सिंह और निकेश सिंह के साथ हो गयी.उसके भाई को बचाने के लिए उसके पिता गए.उन चारों ने बजरंग को छोड़कर उसके पिता जी को ही लाठी--डंडे और फरसे से प्रहार कर जख्मी कर दिया जिससे उसके पिता की मौत इलाज के दौरान हो गयी.घटना स्थल प़र अभीतक खून के धब्बे मौजूद हैं.स्थानीय लोग भी इस मौत को दारु--शराब पीने को लेकर हुए विवाद का नतीजा बता रहे हैं.
पुलिस के अधिकारी भी इस घटना के पीछे शराब पीने के समय हुए विवाद को ही कारण बता रहे हैं.अधिकारी कह रहे हैं की बीच--बचाव में गया मारा गया.पुलिस इस मामले में काण्ड अंकित कर अनुसंधान शुरू कर चुकी है.पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की क्या वजह निकल कर सामने आती है,उनके लिए यह देखना भी जरुरी है.वैसे मृतक परिजनों ने चार लोगों मिल मालिक टुनटुन साह,मनटुन साह और उसके स्टाफ विकास कुमार सिंह और निकेश सिंह को नामजद आरोपी बनाया है.पुलिस ने इन चारों को गिरफ्तार कर लिया है !
नीतीश बाबू के शराब शास्त्र पढने वाले विद्यार्थियों की कोई कमी नहीं है ! हर उम्र और वय के लोग शराब शास्त्र विषय में उच्चतर डिग्रियां हासिल करने में लगे हुए हैं ! यह नरबली शराब शास्त्र के विद्यार्थियों के शराब प्रेम का ही नतीजा है.यूँ हम आपको बताना चाहते की सहरसा में आपको बेरोजगार,सरकारी हाकिम--मुलाजिम से लेकर तथाकथित सभ्रांत वर्ग के लोग दिन के उजाले से लेकर रात के अँधेरे में कभी भी आसानी से थोक में शराब पीते मिल जायेंगे ! .इस जिले में शराब की दरिया बह रही है !
पुलिस ने इस मामले में सदर थाना में काण्ड दर्ज कर जहां अनुसंधान तेज कर दिया है ! वहीँ इस मामले के चार नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है ! शराब ने आखिरकार एक शख्स की बलि ले ही ली !
मृतक का छोटा बेटा बताता है की उसका भाई बजरंग घर के बगल के ही मिल प़र बैठकर शराब पी रहा था की अचानक उसकी मारपीट वहाँ शराब पी रहे अन्य चार लोग मिल मालिक टुनटुन साह,मनटुन साह और उसके स्टाफ विकास कुमार सिंह और निकेश सिंह के साथ हो गयी.उसके भाई को बचाने के लिए उसके पिता गए.उन चारों ने बजरंग को छोड़कर उसके पिता जी को ही लाठी--डंडे और फरसे से प्रहार कर जख्मी कर दिया जिससे उसके पिता की मौत इलाज के दौरान हो गयी.घटना स्थल प़र अभीतक खून के धब्बे मौजूद हैं.स्थानीय लोग भी इस मौत को दारु--शराब पीने को लेकर हुए विवाद का नतीजा बता रहे हैं.
पुलिस के अधिकारी भी इस घटना के पीछे शराब पीने के समय हुए विवाद को ही कारण बता रहे हैं.अधिकारी कह रहे हैं की बीच--बचाव में गया मारा गया.पुलिस इस मामले में काण्ड अंकित कर अनुसंधान शुरू कर चुकी है.पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की क्या वजह निकल कर सामने आती है,उनके लिए यह देखना भी जरुरी है.वैसे मृतक परिजनों ने चार लोगों मिल मालिक टुनटुन साह,मनटुन साह और उसके स्टाफ विकास कुमार सिंह और निकेश सिंह को नामजद आरोपी बनाया है.पुलिस ने इन चारों को गिरफ्तार कर लिया है !
नीतीश बाबू के शराब शास्त्र पढने वाले विद्यार्थियों की कोई कमी नहीं है ! हर उम्र और वय के लोग शराब शास्त्र विषय में उच्चतर डिग्रियां हासिल करने में लगे हुए हैं ! यह नरबली शराब शास्त्र के विद्यार्थियों के शराब प्रेम का ही नतीजा है.यूँ हम आपको बताना चाहते की सहरसा में आपको बेरोजगार,सरकारी हाकिम--मुलाजिम से लेकर तथाकथित सभ्रांत वर्ग के लोग दिन के उजाले से लेकर रात के अँधेरे में कभी भी आसानी से थोक में शराब पीते मिल जायेंगे ! .इस जिले में शराब की दरिया बह रही है !
6 अक्टूबर 2012
ओवरब्रिज निर्माण के लिए सहरसा बंद

सहरसा :- ओवरब्रिज निर्माण के लिए स्थानीय कुंवर सिंह चौक प़र बीते दो अक्तूबर से भूख हड़ताल प़र बैठे चार सामाजिक कार्यकर्ताओं जिला पार्षद प्रवीण आनंद,वयोवृद्ध शिव प्रसाद केशरी,सुभाष गांधी और विनोद पासवान के समर्थन में ना केवल नौजवान और सभी वर्गों के आमलोगों का जन-सैलाब उमड़ रहा है बल्कि आज व्यवसायी वर्ग भी अपनी दुकानों को बन्द करके इस आन्दोलन में कूद पड़े हैं.यूँ आज अहले सुबह से यहाँ के नौजवान टोली बनाकर विभिन्य बाजारों से गुजरते हुए और घूम--घूमकर दुकानें बन्द करा रहे थे ! सहरसा बाजार पूरी तरह से बन्द रहा.इस बंदी को सही अर्थ में एतिहासिक बंदी की संज्ञा दी जा सकती है.
नौजवानों के इस कारवां को.अहले सुबह से टोली बनाकर ये सहरसा के विभिन्य बाजारों में घूम--घूमकर ना केवल दुकानें बन्द करा रहे हैं बल्कि ओवरब्रिज निर्माण के लिए आहूत इस आन्दोलन में लोगों को स्वतः शामिल होने की अपील भी कर रहे हैं.आज सहरसा में अभूतपूर्व बंदी का आलम है.सहरसा के तमाम मुख्य बाजार डी.बी.रोड,शंकर चौक,बंगाली बाजार,चांदनी चौक,महावीर चौक,गंगजला चौक,पूरब बाजार,नया बाजार से लेकर कचहरी ढाला की सभी दुकाने इस बंदी में पूरी तरह से बन्द रहे.इस आन्दोलन के दौरान छात्र--नौजवानों ने अनशन स्थल प़र भी जमकर नारेबाजी की
इस आन्दोलन में अब सहरसा के व्यवसायी भी पूरी तरह से ना केवल शामिल हो गए हैं बल्कि वे आज अपनी दुकानें बन्द करके जबतक ओवरब्रिज का निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं होगा तब तक वे भी आन्दोलन करते रहेंगे !
पुलिस अधिकारी इस मुकम्मिल बंदी को स्वीकार कर रहे हैं और कह रहे हैं की एहतियात और शान्ति व्यवस्था कायम रह सके इसके लिए हर चौक--चौराहे पर मेजिस्ट्रेट और पुलिस जवानों की तैनाती कर दी गयी है.
सहरसा की यह अभूतपूर्व बंदी है जिसमें आमलोगों की आवाज कुलाचें भर रही है.इस बार कोसी क्षेत्र की जनता पूरी तरह से अगिया--बेताल हो चुकी है और बिना ओवरब्रिज के निर्माण का रास्ता साफ़ हुए,वह किसी भी समझौते और सियासी लॉलीपॉप से मानने वाली नहीं है.इस बार साफ़ तौर प़र यह आर--पार की लड़ाई प्रतीत हो रही है.
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